आज बहुत उदास होकर
उसने मुझे पुकारा,
मैं पास गई और
उसे प्यार से सहलाया…
उसने मुझसे कहा
तुम मुझसे नाराज हो क्या ?
या जिन्दगी की उलझनों से हताश हो क्या ?
मैंने मुस्कुराते हुए
अपने आँसू छुपाकर कहा
नहीं तो पगले !
तुझसे नाराज नहीं खुद से खफा हूँ मैं
जिन्दगी से हताश नहीं
हैरान हूँ मैं…
बस कुछ दिनों से खुद से नहीं मिल पाई हूँ
इसीलिए तुझे अपने प्रेम से
सींच नहीं पाई हूँ…
मेरी गोद में सिर रखकर उसने कहा
तो फिर तुमने मुझे कई दिनों से सींचा क्यों नहीं!
सुबह उठकर सबसे पहले
मुझे देखा क्यों नहीं!
वो छज्जे पर गमले में बैठा
मेरा मनी प्लांट’
मुझसे से सवाल पर सवाल करता रहा और
मैं खामोश थी…