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कदमो की आहट

लाखों की भीड़ में भी तेरे कदमों की आवाज़ पहचान लेता हूँ,

मैं तेरी खामोश आँखों में छुपा हर दर्द पहचान लेता हूँ,

यूँ तो भटक भी जाऊ किसी मोड़ मगर,

मैं बन्द आखो में भी तेरा घर पहचान लेता हूँ॥

राही (अंजाना)

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