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कर्मफल

स्वप्नों के बीज पर ही कर्म फल लगते हैं
स्वप्न सीढ़ियों पर चढ लक्ष्य के फल चखते हैं ।
बगैर स्वप्न देखे कहाँ हम आगे बढ़ते हैं
बगैर इसके कहाँ उपलब्धियाँ हासिल करते हैं ।
कल्पना ही है वह आधार भूमि
लक्ष्य इमारतों की बुनियाद जिसपर रखी होती हैं
जीजिविषा के दम पर ही मन साकारता को पाती हैं
हर नवनिर्माण के पीछे चेतना संघर्ष करते हैं
स्वप्न के बीज पर ही कर्म फल लगते हैं ।
हमारा व्यक्तित्व सशक्त स्वप्न की पहचान है
हमारी पायी गयी मंजिल हमारे अरमान हैं
स्वप्न हमारी हर आनेवाली समस्या का समाधान है
इसके बल पर आत्मविश्वास को उङान देते हैं
स्वप्न के बीज पर ही कर्म लगते हैं ।

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