कविता की समीक्षा Geeta kumari 3 years ago *******हास्य रचना****** जब कोई करता है, मेरी कविता की बुराई, आत्मा रोती है मेरी, देती है रो-रो दुहाई। मरहम सा लग जाता है, उस वक्त….. जब आती हैं समीक्षाएं, दिल प्रसन्न हो उठता है। देने लगता है दुआएं।। _____✍️गीता