कविता की समीक्षा

*******हास्य रचना******
जब कोई करता है,
मेरी कविता की बुराई,
आत्मा रोती है मेरी,
देती है रो-रो दुहाई।
मरहम सा लग जाता है,
उस वक्त…..
जब आती हैं समीक्षाएं,
दिल प्रसन्न हो उठता है।
देने लगता है दुआएं।।
_____✍️गीता

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Responses

  1. बहुत खूब
    कोई नासमझ ही होगा जो आपकी कविता की बुराई करेगा😊🙏

  2. बहुत खूब
    कोई नासमझ ही होगा जो आपकी कविता की बुराई करेगा😊🙏

  3. बहुत ही शानदार रचना। हास्यपुट मुस्कुराहट बिखेरने में सक्षम है। कविता सरलता लिए हुए है। बहुत खूब

    1. उत्साह वर्धन करती हुई इस उत्कृष्ट समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी,अभिवादन सर

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