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कविता-स्वागत नए साल का |

कविता-स्वागत नए साल का |
बीत गया वर्ष दो हजार बीस स्वागत नए साल का |
गुजरा वो सब पर रहा भारी पुछो न अब हाल का |
जारी रहा कहर कोरोना फैलाता रहा खूब जहर |
मँडराता रहा मौत का साया सहमा रहा हर शहर |
दुआ करो आए नव वर्ष लाये सपना खुशहाल का |
लोग बेरोजगार हुये किसान मजदूर सब लाचार हुये |
पसरा सन्नाटा शहर अस्पताल मरीज भरमार हुये |
क्या बताए भुखमरी बेकारी व देश खस्ताहाल का |
लगा चक्का जाम हैरान जनता देश हाहाकार हुआ |
ट्रेन चले नहीं बस कार हिले नहीं बंद ब्यापार हुआ |
हाथो को काम नहीं भूखे मज़दूर के हाल बेहाल का |
नया साल आना नया सौगात नई आस संग लाना |
चेहरों मुस्कान चले रोजी दुकान आगाज संग लाना |
उन्नति प्रगति प्रकृति साज विकाश देश मालामाल का|

श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो, झारखंड,मोब- 9955509286

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