कवि की लेखनी:- मानवीय अलंकार Pragya 3 years ago बोली लेखनी आज मिटा तू घनघोर अंधेरा विगत माह से तूने मुझसे नाता तोड़ा नाता तोड़ा तूने मुझसे जोड़ जरा-सा मैं (कलम) तेरे भावों और हूँ स्याही की प्यासा लिखकर कविता और नज्म तू मेरी प्यास बुझा दे ओ पगली प्रज्ञा ! तू मेरा रोग लगा ले…