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*कसम से*

*कसम से*
अब आप बिन रहा नहीं जाता
किसी से कुछ कहा भी नहीं जाता
हर पल आपकी कमी महसूस होती है
हर दम अधूरी जमीं महसूस होती है
कितनी भी मसरूफ़ रहूं,
एक आहट सी आती है
सूखे पत्तों सी बिखर जाती हूं
तस्वीर तुम्हारी देख कर निखर जाती हूं
आपकी यादें सुबह से शाम कर देती हैं,
सच पूछो तो परेशान कर देती हैं
यादों से कहो, यूं ना आया करें,
हमें हरदम यूं ना सताया करें
निशा का तीसरा पहर हो रहा है,
देखो ना सारा संसार सो रहा है
जब सारा जहां आराम करता है,
ये चमकता चांद हमें परेशान करता है ।।

*****✍️गीता

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