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कांटों सी क्यों चुभन रखूं

कांटों सी क्यों चुभन रखूं
जब मिट्टी में मिल जाना है,
कभी किसी ने कभी किसी ने
निश्चित ही है जाना है।
फूलों सी खुशबू फैला दूं
जिधर चलूँ उधर महका दूँ,
प्यार का बीजारोपण करके
नफरत सारी दूर भगा दूँ।

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