कागज!!
बड़े काम के हो आप
युगों युगों से
आप पर कलम
अंकित करते आई है,
तमाम तरह का साहित्य।
आप में अब तक का
दुख-सुख, उत्थान-पतन,
आशा-निराशा,
उत्साह-अवसाद,
इतिहास,
सब कुछ अंकित है।
मानव क्या था, क्या है
जीवन कैसा था, कैसा है
सब कुछ आप पर ही
अंकित है।
आप न होते तो
कैसे हम अपना
बीता कल जानते।
आप न होते
कैसे हम सहेजा हुआ
आत्मसात कर पाते।
आप न होते तो
कैसे हम अपनी संवेदना
को अंकित कर पाते।
आप पर अंकित भंडार ही तो
भावी पीढ़ी के लिए
वरदान है,
जीवन जीने का ज्ञान है।
कागज
आपका होना
हमारे लिए वरदान है
आपकी महत्ता का
हमें भान है।
——— डॉ0 सतीश पाण्डेय