जिस बंदे ने तुम्हारी परोसी थाली है,
पर मजबूरन आज उसी की थाली खाली है।
और समझो धूप बरसात गर्मी -ठण्डी उन दताओ की
वरना राजनीति के चेहरे पर कालिख है।
कल जो बादल वर्षा करते रहते थे
कल तक जो तुमको थाली परसा करते थे
वो आज गरज-बरस कर राजनीति पर आये है
समझो तुम राजनेताओं तुम पर काले साये है।