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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
“किसान आन्दोलन”
जो बादल सदैव ही निर्मल वर्षा करते थे निज तपकर अग्नि में तुमको ठण्डक देते थे वह आज गरजकर तुम्हें जगाने आये हैं ओ राजनीति…
ये तो वही किसान है
चिड़ियों के चहचहाने से पहले, बैलो के रंभाने से पहले जो जाग जाता है, ये तो वही मेहनत का पुजारी किसान है| अन्न को उपजाने…
आंदोलन
भूमिपुत्र किसान भाई, तुम जिद्द अपनी छोड़ दो धरना प्रदर्शन की दिशा भी घर की तरफ मोड़ दो देश पर मण्डरा रहे ख़तरे को गम्भीरता…
Khud ki khoj tu kar le bande
खुद की खोज तू करले बंदे, खुद में ही तू पाएगा उसे, उस उस ईश्वर को याद तू कर ले बंदे, खुद में ही तू…
किसान आंदोलन पर बहुत सुंदर रचना
वाह
Thank you uncle
बहुत सुंदर, अति उत्तम रचना
Great