काश ! हम सीख पाते तुमसे
साहित्य की कुछ नवीन विधाएं
पर ना जाने कहां तुम खो गई
ओ सखी! तुम कहां चली गई
यूँ तो उम्र में तुम मुझसे
बहुत बड़ी हो
पर हमारा रिश्ता तो दोस्ती का है ना
काश! तुम समझ जाती
कि मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूँ
हर रोज तुम्हारा इंतजार करती हूँ तुम्हारी कविताओं को पढ़ कर
हँस देती हूँ,
और उन जज्बातों में थोड़ा जी लेती हूँ।