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क्यों दर दर भटकता है तू

क्यों दर दर भटकता है तू
अपनी मांगों के लिए

क्यों रोज अड्डे बदलता है तू
अपनी चाहतों के लिए

क्यों तू उस इंसान के पास जाता है
जो खुद अल्लाह के भिखारी है

अरे ये तो बस एक व्यापार है
असल में इनका हाथ भी खाली है

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