हाथ से मेरे कुछ लकीरें फिसल गई,
पलक झपकी ना थी कि…
पानी की कुछ बुँदे निकल गई,
एक झपकी मे ही सबकुछ बदल गया,
लाश तो एक गिरी थी …
पर इंसान हर एक बदल गया,
कुछ पलों मे ख्वाबो को छोड़ दिल जम गया,
मन मे है बस एक ही सवाल –
“क्यों वो शख्स बिछड़ गया “?
क्यों वो शख्स बिछड़ गया “?
-सचिन चौधरी (सनसनवाल)