Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
SACHIN SANSANWAL
अब जितने भी अल्फाज है ,
मेरी कलम ही मेरे साथ है |
Related Articles
कुछ बीते पलों की बात थी
कुछ बीते पलों की बात थी उनसे हुई पहली मुलाकात थी रुक तो गया था वह शमां क्योंकि झुकी हुई पलकों की वो पहली शुरुआत…
एक सवाल……
एक सवाल दिल का, एक सवाल इश्क़ का, इश्क़ मैं जो बिछड़ जाते है, वो फिर किधर जाते है एक सवाल ज़िन्दगी का, एक सवाल…
सच में सब कुछ बदल गया
सच में सब कुछ बदल गया इंसान का जुबान बदल गया राजाओ की कहानी बदल गया अल्हड़ मदमस्त जवानी बदल गया यारो की यारी बदल…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
उम्र लग गई
ख्वाब छोटा-सा था, बस पूरा होने मे उम्र लग गईं! उसके घर का पता मालूम था , बस उसे ढूंढने मे उम्र लग गईं !…
waah sachin bhai
Thank you अंकित
Bahut hi umda friend
Thanks
anupam kavita
Thanks
beautiful words
Thanks
वाह बहुत सुंदर रचना
Bhtr
बहतरीन
हाथ से मेरे कुछ लकीरें फिसल गई,
पलक झपकी ना थी कि…
पानी की कुछ बुँदे निकल गई,
बहुत सुंदर