क्षणिकाएं Anu Somayajula 4 years ago 1. पहली ही सीढ़ी पर एहसास हुआ, सर पर खुला आसमां हो भले ही अब – पैर तले ज़मीन नहीं 2. चाहे-अनचाहे उग आए हैं संबंधों में अपरिचय के विंध्याचल ; हम भी जो पा लेते थोड़ा सा अगस्त्य का बौनापन !!!