कितना बोलता है दिल
पर तुम नहीं सुनते
मेरी धड़कनों की सदा
क्यों नहीं सुनते
खामोंश हैं लब मेरे
कुछ मजबूरियां हैं इसलिए
वरना ऐसा नहीं है कि
तुमसे प्यार हम नहीं करते…
कितना बोलता है दिल
पर तुम नहीं सुनते
मेरी धड़कनों की सदा
क्यों नहीं सुनते
खामोंश हैं लब मेरे
कुछ मजबूरियां हैं इसलिए
वरना ऐसा नहीं है कि
तुमसे प्यार हम नहीं करते…