ख्वाब – 2 UE Vijay Sharma 8 years ago रात के ख्वाब सुलाते हैं दिन के ख्वाब रुलाते हैँ मंज़िर वोह खुली आँखों के अन्दर से काट काट कर जाते हैँ …… यूई