Site icon Saavan

ख्वाब – 2

रात के ख्वाब सुलाते हैं

दिन के ख्वाब रुलाते हैँ

मंज़िर वोह खुली आँखों के

अन्दर से काट काट कर जाते हैँ

 

…… यूई

Exit mobile version