….गणतंत्र दिवस….
लो फिर आ गई २६ जनवरी,
नौजवानों को समझाने,
क्या होता गणतंत्र ये,
बलिदानों का गुण गाने,
आज के हर युवा का फ़र्ज़ है ये,
उन संघर्षों, उन वीरों को पहचानें,
मौत चली थी श्रद्धा से जिनकी,
हिम्मत को आज़माने,
……………
जब देश मेरा परतंत्र था,
हर वाशिंदे के मन में रंज था,
आज़ादी के परवानों ने,
गुलामी की नीव हिला दी,
देश छोड़ अंग्रेज़ भागे जब,
वीरों ने जिद की ठानी,
….
नया सबेरा नई चमक,
आज़ादी की हवा में घुली महक,
फिर संविधान हमारा रचा गया,
हर जाति, धर्म, हर नागरिक को,
उसके अधिकारों, कर्तव्यों से भरा गया,
……
ये संविधान समुद्र सा विशाल है,
इसी के हाथों में लोकतंत्र की कमान है,
भिन्न जाति, धर्मों, भाषाओं का,
रंग-बिरंगा है भारत,
पार लगाता सब की नैया,
हम भारतवासी का यही खेवैया,
……
गणतंत्र हमारा महान है,
कौन हमारा मंत्री हो,
कौन हो प्रधान उप मंत्री,
चुन सकें हम अपना नेता,
हमको चुनाव का अधिकार है,
……
डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में
२ वर्षों में इसका निर्माण हुआ,
२६ जनवरी १९५० में इसका अंगीकार हुआ
हम गणतंत्र देश के वासी अब,
कर्तव्यों की भी रखते ज़िम्मेदारी,
संविधान करता है हमारे,
अधिकारों की पहरेदारी!!!
…..
आओ करें गणतंत्र दिवस की तैयारी,
आगे बढ़कर चलो करें प्रतिज्ञा,
संभली रहे आज़ादी की धरोहर,
कभी न फिर वापस आए,
गुलामी की ये बीमारी…
..मनीषा नेमा..