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गरम हवा

गरम हवा बन कर लू,
तन-मन को जला रही है l
कैसे बाहर निकलूँ मैं घर से,
यह धरा को भी तपा रही है l
एक बारिश को तरसता,
आज क्यूँ है मेरा मन l
अभी तो ज्येष्ठ बाकी है,
आएगा कब सावन॥
____✍गीता

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