गरम हवा Geeta kumari 3 years ago गरम हवा बन कर लू, तन-मन को जला रही है l कैसे बाहर निकलूँ मैं घर से, यह धरा को भी तपा रही है l एक बारिश को तरसता, आज क्यूँ है मेरा मन l अभी तो ज्येष्ठ बाकी है, आएगा कब सावन॥ ____✍गीता