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गुड मॉर्निंग भेजा

कविता- गुड मॉर्निंग भेजा
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गुड मॉर्निंग भेजा,
हमकों एकSMS मिला,
क्षण भर हम ठहर गए थें,
हाय कोरोना तेरे कारण भूल गए थें,
अपने सभी बिछड़ गए थें,
जब से आया कोरोना हैं,
याद रहा हमकों सब कुछ,
बस भूल गए थें-
जन्मदिन आज तुम्हारा हैं,
क्या दे सकता हूं
क्या ले सकता हूं
इस खुशी के पल में हम,
बस चंद शब्द हैं उपहार हमारे,
परहित स्वहित,
स्वीकार करो यह उपहार हमारें|
वर्ष मिला जो जीवन में,
ईश्वर का धन्यवाद करों,
मात पिता गुरु चरणों का,
जब तक जिंदा हो सम्मान करों,
विश्वास रखों ईश्वर में भी,
रोज काम को करतें जाना,
लगन ,स्नेह, प्रयोग, से कुछ बढ़ कर ना,
भूलों जब भी राह अगर,
अनुभव शिक्षा काम ना आए,
ठहर वहीं पर पूछ किसी से,
फिर आगें कदम बढ़ाना,
आई हों जिस उम्मीदों से,
जल्द ही उसको छीन के लेना,
मात-पिता कुल का गौरव बन जाओ,
देश समाज हित कुछ कर जाओ,
त्याग करो,
बलिदान करो,
सब जन से स्नेहा करो,
अपना अध्ययन ऊपर रखकर,
सबसे बढ़कर ,अध्ययन से ही प्रेम करो|
राह में लाखों मिलेंगे तुमको,
सुन कष्ट तुम्हारें-,
आंखों से-
राह का कांटा चुनने की बात करें,
हंसी मजाक के संग,
सपनों में चांद पर चलने की बात करें,
सच चांद सा रोशन हो,
रात अंधेरी का बनो चांदनी,
करो संघर्ष मिले सफलता,
भटके दुश्मन का बच्चा भी,
पाएं मुकाम ,जब पढ़े कहानी,
हो बहुत सौभाग्यशाली,
अब औरों का सौभाग्य बनो,
रूहानी नूर बनो,
कदम बढ़ाओ पथ पर ऐसा,
भटके हुए राही का नूर बनो,
नूर बनोगी एक दिन सब का,
विश्वास से ‘ऋषि’ भी कहता हैं,
उपहार नहीं हैं कुछ पास मेरे देने को,
यह चंद शब्द भेट तुम्हें करता हूं|
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**✍ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’—–

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