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गूंज

हमारा आशियाना एक वादी बन
गया है फिलहाल
अब घर के सामान हमारे
मित्र हो गए
एक सुंदर वादियों सी गूंज रही
आवाज थी
पुन्ह हमसे जो टकराई तो
हम चित हो गए
हमसे किसी ने पूछा तुम्हें जमीन
क्यों भाई है
क्या कहें इन दीवारों ने तारीयां
दिखलाई है
शर्म से गिरने की बात को
छुपा गए
खोई जेब की आमदनी का
बहाना लगा गए
जिसको टालना चाहा जनाब
वह भी बहुत चतुर थे
हमारे मायूस मुंह को वो देखें
टुकुर-टुकुर थे
उन्हें पता है सब वो हंसी से
बता गए
होशियारी के हथियार डाल
हम भी मुस्कुरा गए

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