घनश्याम का दीदार
बहुत बहुत प्यारे मित्रो सुहानी शाम का आत्मीय अभिवादन।
“घनश्याम का दीदार”
सुहानी शाम को घनश्याम का, दीदार हो जाये,
ये प्यासा मन, कन्हैया के, गले का हार हो जाये ।
मधुर मुरली की रसबँती सुरीली
तान यदि सुन ले।
बने परछाई कृष्णा की,
परम सौभाग्य को चुन ले ।
मिटा हस्ती अहम् की, भक्ति यमुना धार हो जाये ।
जियूँ जब तक धरा पर मैं,
सुदामा मित्र के जैसा ।
प्यार की डोर में बँधकर,
प्यार के इत्र के जैसा ।
त्रिलोकों मैं महक भर, त्रिलोकी गुँजार हो जाये ।
निरंतर पढ़ते रहें….
जानकी प्रसाद विवश का रचना संसार………..
umda line sir ji
Nice
bahut khoob