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चालान

झूमे जा रहा था मस्ती में कि उनसे नजरें चार हुई
ब्रेक गाड़ी पर उसने लगवाया, और इनायत दिल की हुई
खुद को संभाल पाता कि शिकार नजरों का हो गया
कहना कुछ और था कि सरेआम तमासा हो गया
जाने क्या ये मुझसे अचानक हो गया…
अरे .. रे ..रे .. ये तो चालान हो गया….

अब उससे फरियाद लगाने की मेरी बारी थी
चालान की रकम कुछ कम कराने की तैयारी थी
तकरार हो गई उससे कुछ भारी ऐसी
वर्दी पर उतर आई जब मैडम एस.आई. हमारी
यूं तो पारा थोड़ा मेरा भी गरम था
पर उसकी आंखों का घाव थोडा गहरा था

बैठ गई अब तो वो जिद पर अपने
धारा कानून की सारी लगी गिनाने
कितना भी मैं सही हूं अब उसे परवाह नहीं
चालान कटने से कम पर अब वो तैयार नहीं
हार मान बैठा अब उसकी जिद के आगे
पांच सौ का नौट रखा जब उसके सामने

आंखों में थी सरारत उसकी अब जान गया
जाने से पहले उसको दो – दो सलाम किया
अब सफ़र पर ध्यान न भटके इशारा हुआ
नजरें सड़क पर रहेगी उससे वादा किया
जाने क्या ये मुझसे अचानक हो गया…
अरे .. रे ..रे .. ये तो चालान हो गया…
अरे .. रे ..रे .. ये तो चालान हो गया…

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