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चुनावी दंगल

नेताजी लाल पीले हैं,
मुंह में है आग,
ताशे उनकी ढीले हैं।
विपक्षी दलों पर आरोपों की कंकरिया फिकवा रहे,
वादों पर वादों की फुलझड़ीया जला रहे।
एक दूसरे का कच्चा चिट्ठा जनता को सुना रहे,
एक दूसरे की बस कमियां गिनवा रहे।
खुद को ईमानदार सच्चा बतला रहे
विपक्षी दल को झूठ का पुतला बता जला रहे।

चुनावी दंगल है शोर ही शोर है,
एक दूसरे को कह रहे अरे बड़ा चोर है।
मन में है धुकधुकी नींदें हराम है,
विपक्षी जीत जाए ना सोच कर बुरा हाल है।
एड़ी चोटी का जोर मिल के सब लगा रहे,
अपनी अपनी पार्टी को विजयी बता रहे।

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