जज्बात Ritika bansal 4 years ago जिक्र ए जहन किससे करें हम लफ़्ज हैं दबे दिल में कहीं शायद डर रहें हैं बाहर निकलने से कोई समझेगा या नहीं क्या कहेगा कोई इसी उधेड़बुन में खोई रहती हूं अपने ख्यालों में करती हूं इंतजार उस पल का जब जज्बात तोड़ कर निकलेंगे जहन की दीवारों को