जज्बात

जिक्र ए जहन
किससे करें हम
लफ़्ज हैं दबे दिल में कहीं
शायद डर रहें हैं
बाहर निकलने से
कोई समझेगा या नहीं
क्या कहेगा कोई
इसी उधेड़बुन में
खोई रहती हूं अपने ख्यालों में
करती हूं इंतजार
उस पल का
जब जज्बात तोड़ कर निकलेंगे
जहन की दीवारों को

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

लॉक डाउन २.०

लॉक डाउन २.० चौदह अप्रैल दो हज़ार बीस, माननीय प्रधान मंत्री जी की स्पीच । देश के नाम संबोधन, पहुंचा हर जन तक । कई…

Responses

  1. “जब जज्बात तोड़ कर निकलेंगे
    जहन की दीवारों को” में अनुप्रास से अलंकृत कर मन में छिपे जज्बातों को पंक्तिबद्ध करने का सुन्दर प्रयास है. वाह

+

New Report

Close