जल रहा है आज रावण
राम जी के वाण से,
उड़ रही हैं खूब लपटें
देखता जग शान से।
गा रहे हैं जोश से सब
राम राघव की बड़ाई
अबकी ऐसा वाण मारो
दूर भागे सब बुराई।
लाल लपटें आग ले
कहती बुराई भाग ले,
सब धुँवा सा हो गया
भस्म रावण आग से।
कुछ मिले शिक्षा हमें
रावण बुराई को लिए था
इसलिए राघव के वाणों ने
उसे छलनी किया था।
ईश के वाणों का भय लो
अब बुराई त्याग दो,
सब रहें खुश सब जियें
सबको बराबर भाग दो,
आज अपनी सब बुराई
को निकालो आग दो।