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ज़िन्दगी मोबाइल की गुलाम हो गई..

ज़िन्दगी “मोबाइल” की गुलाम हो गई ,
“मोबाइल” के संग ही सुबह और शाम हो गई
लिखना हो तो मोबाइल, पढ़ना हो तो मोबाइल,
अब ये बातें तो आम हो गईं
मिलने के भी मोहताज ना रहे ,
“मोबाइल” से ही बातें तमाम हो गई
मोबाइल में मन लगता है सभी का,
आधी ज़िन्दगी इसी के नाम हो गई..

*****✍️गीता*****

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