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जो लिखा ही नहीं वो ख़्यालो में है।

जो लिखा ही नहीं वो ख़्यालो में है।
जिंदगी का मज़ा अब सवालों में है।।
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जो जाता है उसको चले जानें दो।
देख लेंगे हम ग़म के जो प्यालों में है।।
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तस्वीरों को तेरी मैं अब रखता नहीं।
बस तेरा चेहरा अंधेरे उजालों में है।।
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आँखों में मेरी है मंजिल ही मंजिल।
फिर दर्द थोड़े न पैरो के छालों में है।।
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मौसमो की तरह था जो बदलता रहा।
चर्चा उसी की वफ़ा के मिसालों में है।।
@@@@RK@@@@

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