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जो सुख है ब्रह्मचर्य में,

जो सुख है ब्रह्मचर्य में,
वो सुख नहीं है,
दुनिया के झमेले में ।
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रीढ़ की हड्डी टूट जाती,
बुढ़ापा आने से पहले .
कमर की पसलिया कहती
रे मूरख कामी लाठी पकड़ ले
नहीं तो गिर जायेगा खूद के गड्ढ़े में ।.
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सज्जन, संत जीवन मुस्कुराकर जीता है
दुर्जन कामी दिनभर रोता रहता है ।।
जय श्री सीताराम ।।

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