ढूंढ़ता बचपन
ढूंढ़ता बचपन
?
बस ऐ,ज़िन्दगी मुझे मेरा बचपन लौटा दे।
Nishit Lodha
मुझे मेरा वो हस्ता हुआ कल लौटा दे,
आंसू दे मुझको, पर उन्हें पोछने वाला वो आँचल लौट दे।
ढूंढता हु में आज कल वो दिन अपने,
खेलता खुदता वो आँगन लौटा दे।
बिठा दे मुझको उन कंधो पे और उस आसमान की एक वो ही लंबी सेर करा दे।
भुला दे हर दर्द ज़िन्दगी के और खेल- मस्ती की वो चोट लगा दे।
ढूंढता हु में अपना बचपन आजकल हर रास्ते पे बंजारा बन।
बस माँगता हु ज़िन्दगी से, की ऐ ज़िन्दगी मुझे मेरा वो कल लौट दे और
वो खिलखिलाता हुआ बचपन लौट दे।
?
shaandaar