तकदीर और तदबीर Praduman Amit 3 years ago उधर किसी की हसरतें पुरी हुई इधर किसी का दिल जला क्या कहे दोस्त सब की अपनी अपनी तक़दीर है अचानक एक दिन उनका ख़त आया उस में एक ही पंक्ति लिखा था ए क़ाबिल दिल तकदीर के संग तदबीर होना भी जरुरी है मेरा उदास मन फिर अतीत की लहरों में खो गई।