तुमसे दूर होकर भी ज़िन्दा हूँ मैं।
तुमसे दूर होकर भी ज़िन्दा हूँ मैं।
बस इतनी सी बात पे शर्मिंदा हूँ मैं।।
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ख़्वाहिशों की दुनियां में जाना तो था।
पर जो उड़ न पाया वो परिंदा हूँ मैं।।
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ज़िन्दगी गुजारी है इक उम्मीद पे मैंने।
हाँ वीरान शहर का अकेला बासिन्दा हूँ मैं।
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वैसे तो मेरी कोई हस्ती नहीं मानता हूँ।
पर खुद के लिए शख़्स कोई चुनिंदा हूँ मैं।।
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उम्र भर रहा मगर एक हौसला साहिल।
की इक मुलाक़ात तो कोई आइन्दा हूँ मैं।।
@@@@RK@@@@
वाह