तेरी जफा को याद
जब तेरे शहर की गलियों से गुजरता हूँ,
तेरी बेवफाई तेरी जफा को याद करता हूँ l
क्या खूब की थी तूने बेवफाई मेरे साथ,
आज तेरे हर ख्वाब से भी डरता हूँ l
कैसे मिटाये बैठा हूँ मै खुद को क्या कहूं,
आज तेरी हर तस्वीर जलाया करता हूँ l
मिट जाती हर वो दास्ता वो फसाना,
इसलिए वो याद उस पल को जलाया करता हूँ l
अपने दिल मे एक आग जला रखा है,
इसलिए उस आग को हर रोज जलाया करता हूँ l
तेरी गलियों से जब गुजरता हूँ
किस कदर तुझको याद करता हूँ l
जब तेरे शहर की गलियों से गुजरता हूँ,
तेरी बेवफाई तेरी जफा से डरता हूँ l
राज सोनी,”रहस्य”
वाह