Site icon Saavan

दिल हार गया

गये थे परदेश दो वक्त के रोटी कमाने।
क्या पता था करोना आएगा दिल जलाने।।
दिल में सपने ले के, चले थे हम परदेश ।
सपने सपने ही रह गए बदल गये हमारे भेष।।
कभी एक गज की दूरी तो कभी दो गज की दूरी।
कैसे कमाते हम यही थी हमारी मजबूरी।।
किस्मत व करोना ने क्या क्या रंग दिखाए।
मुंह (👄) में पट्टी बगल में करोना हाए हाए।।
कहे कवि चलो वापस चले बहुत कमा लिए यार ।
जिंदगी है अनमोल यही कहता है घर परिवार।।

Exit mobile version