सहम गया है चाँद भी देखो, उतरी जब दुल्हन की डोली रे
मन को भायी जैसे बजायी कहीं मोहन ने मुरली रे
बहके हैं सब देखो जैसे , पूरी मधुशाला पी ली रे
कैसे संभालेगा खूद को वो , जिसकी अब तू हो ली रे
सहम गया है चाँद भी देखो, उतरी जब दुल्हन की डोली रे
मन को भायी जैसे बजायी कहीं मोहन ने मुरली रे
बहके हैं सब देखो जैसे , पूरी मधुशाला पी ली रे
कैसे संभालेगा खूद को वो , जिसकी अब तू हो ली रे