Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुल्हन की डोली
सहम गया है चाँद भी देखो, जब उतरी की डोली रे मन को भायी जैसे बजायी कहीं मोहन ने मुरली रे बहके हैं देखो सब…
मधुशाला
मधुशाला खोल के भारत ने हरिवंश राय बच्चन की रचना को चरितार्थ किया मंदिर-मस्जिद बैर कराते मेल कराती मधुशाला फैली है चारों ओर महामारी फिर…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
रात तूं कहां रह जाती
अकसर ये ख्याल उठते जेहन में रात तूं किधर ठहर जाती पलक बिछाए दिवस तेरे लिए तूं इतनी देर से क्यूं आती।। थक गये सब…
nice
Thanx
wonderful poem
Thanx
Good
सुन्दर रचना