सहरा में मुझे तू किसी गुलशन की तरह मिल
मैं मर रहा हूँ आ मुझे जीवन की तरह मिल
तुझे देखकर शायद मुझे कुछ साँस आ जाए
बेजान से इस दिल को तू धड़कन की तरह मिल
मैं उम्र भर तुझको ही बस सुलझाने में रहूँ
तू रोज़ मुझे एक नई उलझन की तरह मिल
चल माना हकीक़त में मुझे मिल नहीं सकती
पर ख्वाब में तो तू मुझे दुल्हन की तरह मिल
@@आशुतोष चौधरी @@