नवदीप Poonam Agrawal 8 years ago शीशे का एक महल तुम्हारा, शीशे का एक महल हमारा. फिर पत्थर क्यों हाथों में आओ मिल बैठें , ना घात करें । प्रीत भरें बीतें लम्हों को, नवदीप जलाकर याद करें – पूनम अग्रवाल