Site icon Saavan

नव वर्ष आई

गुजं उठी चहू दिश
नव वर्ष की नव शहनाई।
करवट बदलती आसमां पे छाई,
नव किरण लै पुरवाई आई।
उमंगों भरा उत्सव गीत आज,
चहकती चहचहाती चिडि़यों ने गाई।
नव वर्ष देख बागों की,
खिल उठी मादक पुष्पाई।
रवि लिये नया सबेरा,
स्वर्णिम किरण बिखराई।
नव वर्ष आई- नव वर्ष आई,
गुजं उठी नव शहनाई।

योगेन्द्र कुमार निषाद ,घरघोड़ा ( छ.ग.)

Exit mobile version