नाम….
यही तो है हमारी पहचान,
हमारे व्यक्तित्व की शान।
नाम केवल एक नाम ही नहीं है,
एक विशेष शख्सियत है…
जिसे जानते हैं हम उस “नाम” से,
उसके आचरण से
और उसके व्यवहार से।
तो दोस्तों…
कभी अपना “नाम” खराब न करना।
क्योंकि एक बार
यदि ख़राब हो जाए नाम,
तो बरसों बीत जाएंगे उसे ठीक करने में।
ज़िन्दगी की दोपहर से,
हो सकती है ज़िन्दगी की शाम भी।
तो आओ प्रण करते हैं कि,
नहीं करेंगे कभी ऐसा काम
जिससे ख़राब हो जाए “नाम”
क्योंकि बरसों बीत जाते हैं “नाम” कमाने में॥
_____✍गीता