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पहला प्यार

ना मेरे हाथों में था लहू ,

ना लगी थी मेहेंदी उसके हाथों में ,

ना जाने क्यों फिर भी रंग था गहरा ||

 

ना वो अकेली थी ना मै अकेला था ,

था वहाँ घने लोगो का पहरा ||

 

कुछ लोगो की घूरती आँखें …

कुछ की थी तिरछी नजरें …

वो थी सहमी, था मै भी सहमा ||

 

ना मेरे हाथों में था लहू,

ना लगी थी मेहेंदी उसके हाथों में ,

ना जाने क्यों फिर भी रंग था गहरा ||

 

शायद थी नजरों की ही गुस्ताखी …

या थी दो दिलों की नादानी …

पर था वो प्यार मेरा पहला ||

~ सचिन सनसनवाल

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