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पाबंदी

सच बोलने पर, आज पाबंदी लग चुकी है।
मर चुके ज़मीर, यहाँ खुलेआम बिक रहे हैं।

डर के कारण, कोई आवाज़ नहीं उठाता
यूँ तारीफों वाले बोल तो, बहुत लोग बोल रहे है।

आज जो हालत हैं, ये किसी से छुपे नहीं
खुलकर कुछ कह नहीं सकते,
बस इसीलिए संभलकर लिख रहे है।

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