Site icon Saavan

पुरसुकून की तलाश में

नित नए विवादों से तंग आकर
क्या निकल पङू परसकून की तलाश में ।
काश कोई करी मिल जाए करार की
दस्तखत कर सकें, हर उस मसौदे पर
जिसपर सुकून का,आखिरी इकरारनामा अंकित हो
अदला-बदली करें अंतर्मन के द्वंद से,
क्या मैं निकल पङू, अक्षुण्ण शान्ति की तलाश में भी।
संजीदगी लिए कोशिशें, क्या मुकाम को पाएगी
धीर हुए मन में,फिर वे स्वप्न क्या सजीव हो पाएंगे
बेखौफ़,पूरी गरीमा के साथ,
अपनी क्षमता को आकार देने
क्या मैं निकल पङू, एक पुरसुकून की तलाश में ।

Exit mobile version