हाथ में हथियार और दिल को फौलाद किये बैठे हैं,
सरहद के हर चप्पे पर हम बाज की नज़र लिये बैठे हैं,
जहाँ सो जाता है चाँद भी चैन से हर रात में,
वहीं खुली आँखों में अमन का हम सपना लिए बैठे हैं,
ठण्ड से सिकुड़कर सिमट जाते हैं हौंसले जहाँ,
वहीं बर्फीली चादर में भी उबलता जिगर लिए बैठे हैं,
डर कर अँधेरी गलियों से भी नहीं गुजरते जहाँ कुछ लोग,
वहीं हम सैनिक हर लम्हा दुश्मनों के बीच फंसे बैठे हैं॥
राही (अंजाना)