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बहुत दिनों के बाद…

बहुत दिनों के बाद ,
जब खोला मैंने यादों का पिटारा ।
कुछ बचपन की किलकारियां गूंजी,
कुछ मां की मीठी लोरी,
कुछ पापा की डांट मिली।
कुछ दिखे खेल पुराने जो खेलें अपनों संग,
कुछ बचपन के हमजोली मिले,
कुछ नटखट-सी शैतानियां ,
कुछ हार जीत का रोना मिला,
कुछ बचपन की नादानियां।
बहुत दिनों के बाद
जब खोला मैंने यादों का पिटारा ।

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