बीती रात मैं तेरी यादों के
आगोश में जाने लगी
विरह की वेदना से
मन को तड़पाने लगी
आँसुओ से भीगा लतपत
तन मेरा ओर मन मेरा
सेज की सिलवट और नर्मी
रूह को जलाने लगी
और तेरी जुस्तजू
में हम लगे सिमटने
फिर तेरे होंठो की नर्मी
मुझे याद आने लगी ।
बीती रात मैं तेरी यादों के
आगोश में जाने लगी
विरह की वेदना से
मन को तड़पाने लगी
आँसुओ से भीगा लतपत
तन मेरा ओर मन मेरा
सेज की सिलवट और नर्मी
रूह को जलाने लगी
और तेरी जुस्तजू
में हम लगे सिमटने
फिर तेरे होंठो की नर्मी
मुझे याद आने लगी ।