नाचत हे परिया
गावत तरिया
घर कुरिया ला, देख बड़े ।
सुन्ना गोदी अब भरे
दिखे आदमी पोठ
अब सब झंझट टूट गे
सुन के गुरतुर गोठ
सब नरवा सगरी
अउ पयडगरी
सड़क शहर के, माथ जड़े ।
सोन मितानी हे बदे,
करिया लोहा संग
कांदी कचरा घाट हा
देखत हे हो दंग
चौरा नंदागे,
पार हरागे
बइला गाड़ी, टूट खड़े ।
छितका कोठा गाय के
पथरा कस भगवान
पैरा भूसा ले उचक
खाय खेत के धान
नाचे हे मनखे
बहुते तनके
खटिया डारे, पाँव खड़े ।।
.रमेश चौहान